जिंदगी का एक आम सा सिलसिला है ,
तक़लीफ़ सेहता है कोई ,तक़लीफ़ देता है कोई ,
तक़लीफ़ से निकलता है कोई,तकलीफ़ से
बिख़र के सवरता है कोई !
जिंदगी का एक आम सा सिलसिला है ,
तक़लीफ़ सेहता है कोई ,तक़लीफ़ देता है कोई ,
तक़लीफ़ से निकलता है कोई,तकलीफ़ से
बिख़र के सवरता है कोई !
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